Wednesday, November 23, 2011

आप


तुम हो तो ये फूल महेकते है,
तुम हो तो ये तारे चमकते है,
तुम हो तो ये तितलियाँ गुनगुनाती है,
तुम हो तो ये भवरें गीत सुनाते है,

ये पंछियों का चहचाहना तुमसे है,
ये मयूर का मोहित होकर झूम जाना तुमसे है,
इन रिमझिम फूहारो का झिमिर झिमिर कर गीत सुनाना तुमसे है
इन जुगनूओ का रातो मे जगमगाना तुमसे है,

दूर तक फैले कुहासे मे तुम्हारे स्पर्श की कोमलता है,
ठंडी हवा की बयार मे तुम्हारे ध्वनि की निर्मलता है,
धरा के नित नये सृजन मे तुम्हारी ही उत्सुकता है,
कोकिल के हर कुंक मे तुम्हारे ही कंठो की मधुरता है,

तुमसे ही ये तो चाँद चाँदनी बिखेरता है,
तुमसे ही इस अरुण की अरुणिमा की महत्ता है,
तुमसे ही इस ओंस मे निर्मल शीतलता है,
भोर की अंगड़ाई मे तुम्हारे होने की मादकता है,

इन नयनो के नवीन स्वप्न मे तुम हो,
इन आधारो के निश्छल बिखराव मे तुम हो,
तुम इस हृदय की हर निस्वार्थ कल्पना मे हो,
परमपिता के सम्मुख कर झुकाए मेरी हर प्रार्थना मे हो.

तुमसे ही तो ये शब्द बनते है,
कवि की कल्पनाओ को नये आयाम मिलते है,
बिना तुम्हारे ये कहानियाँ कहा होती,
बिना तुम्हारे जींदगी तो होती पर जिंदगानियां कहा होती,

तुम हो तो एक अंतराल परिभाषित होता है,
तुम्हारे बिना इस जीवन की क्या कल्पना है,
तुम हो तो ईश्वर इस धरा को हर छण सृजित करता है,
जीवन को नवीन प्रेरणा से भरता है,

बिना तुम्हारे ये जीवन हमेशा अधूरा रहेगा,
तुम्हारे अनुपस्तिथि मे हर छन तुम्हारी ही बाट जोहेगा,
क्या मिला क्या छूट गया ये कुछ भी याद नही रहेगा,
किंतु तुम ना रहे, तो सब कुछ पाकर भी कुछ नही होने का आहेसास रहेगा,

मेरे जीवन की आराधना
मेरे जीवन के सुकुमार स्वपन,
तुमको इन हृदय की गहराइयो मे बसाया है,
कभी प्रश्नचिन्ह मत लगाना.