हम इन्तेजार कर रहे है,
मौसम बदले गए फिजाये बदल गयी,
शिखाये फिर से सजी लताए बदल गयी ,
पर तुम नहीं आये.
हवाओ में भी नमी आ गयी,
धुप भी अब हलकी हो गयी ,
घनघोर घटा छा गयी,
रिमझिम फुहारे धरती स्पर्श पा गयी,
फिर भी तुम नहीं आये.
शाम अब कुछ गेहेराने लगी,
तारे आकाश में टिमटिमाने लगे,
चाँद पुरे शबाब पे आया,
रात का साया जग पे छाया,
फिर भी तुम नहीं आये.
सुबह की हल्की ओस से,
जब हमारी देह धूलि ,
हमें होश आया ,
रात बीत गयी सुबह हो आया,
फिर भी तुम नहीं आये .
मौसम बदले फिजाये बदले,
चाहे रात जाये सुबह आये ,
ऐसे ही अनगिनत बसंत,
हम तुम्हारा इन्तेज़ार करेंगे ,
देखते है पहेले कौन आता है,
तुम या मृत्यु ….????
kamal hai dost kamal hai
ReplyDeletebahut acha hai .........kaise itna acha likh lete ho.........
ReplyDeletearay manish kya mamaji ko yaad kar rhe ho.....lolz....achchi hai bhai....
ReplyDeletezindgi ka safar kisi ke intezaar mein thamta nhin....
ReplyDeleteaisa aaapne hi sikhaya hai.......