Monday, November 23, 2009

आखरी पत्र

उस आखरी रात को ये निर्णय हुआ की अनुमेहा वो विवाह करेगी उसके बाद शिशिर और अनुमेहा एक दूसरे से फिर कभी मिले या नही ये तो रहस्य का विषय है..और इस रहस्य का अनावरण भविष्य मे होगा.. किंतु..उसके बाद उन्होने एक दूसरे को विवाह के पहले एक पत्र लिखा.. उनका लिखा ये आखरी पत्र ही इस बार की कहानी है....


आखरी पत्र ( अनुमेहा)
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मेरे देवता,
कितने ही अनगिनत पत्र मैने तुमको लिखे ....आज शायद ये अंतिम हो.
तुम तो जानते हो हमेशा ही अनगिनत बातें होती है तुम्हे बताने के लिए किंतु ...सोच रही हूँ कहाँ से शुरू करू...??

याद है तुम्हे वो पिछली सर्दिया जब तुम दो महीने घर नही आए थे ..और मुझे बुखार हो आया था..
तब तुम्हारी कितनी याद आयी थी...और जब तुम दो महीने बाद आए तो तुम्हे देख के मै तो रोने ही लगी थी . तुमको याद है ना शिशिर..??

लेकिन पता है शिशिर अब रोना नही आता..तुम्हारी बहोत याद आती है फिर भी रोना नही आता है..
कितने दिन हो गये तुमको देखे हुए...क्या हम अब कभी नही मिलेंगे शिशिर...???


उस आखरी रात तुमने कहा की मुझे ये विवाह करना ही होगा...और मैने कोई प्रतिरोध नही किया...मैने तुम्हारे कहे का कभी प्रतिरोध किया है क्या शिशिर..??

किंतु मेरे जीवन के सुकुमार स्वप्न मुझे ये तो बताओ की अगर ये तन मै उसको दे भी दू ..किंतु ये आत्मा तो तुम्हारी ही रहेगी ना ...ये तो अब और किसी की कभी हो ही नही सकती...तो क्या ये उससे अन्याय नही होगा..बोलो शिशिर..??

परीक्षा के इन आख़िरी क्षणो मे मै कमजोर नही पड़ना चाहती...मै तुमको दुखी और परेशान भी नही करना चाहती..
किंतु मेरे देवता ...हमने जो पवित्र भविष्य के सपने देखे थे .वो क्या सिर्फ़ दिवा स्वप्न थे.??हमने स्वर्ग लोक मे बैठ के जो आत्मा के संगीत सुने थे ...वो क्या सिर्फ़ भौतिक सुरो की तान थी...??

मेरे प्राण हमने एक अनाम रिश्ते का पौधा लगाया..और उसको प्रेम की अनगिनत जल धारा से सिंचित किया…अनगिनत तूफान आए ...अनंत झंझावत आए ...किंतु हमने इस पौधे को कभी टूटने नही दिया..कभी सूखने नही दिया.. हमने हमेशा इस रिश्ते को सहेजा है ..जैसे हृदय मे यादों को सहेजते है....तो अब बोलो शिशिर क्या उस पौधे को जो अब पेड़ बन गया है सूखने दे..और क्या उन सहेज़ी हुई यादों को बिसार दे जैसे कभी कुछ था ही नही..??

मेरे आधार ..चलो मै हर एक बात विस्मृत कर देती हूँ..तुम्हारी हर बात मान लेती हूँ..कर्तव्यो के लिए चलो हमारे प्रेम की आहुति देती हूँ..किंतु मै आम्रपाली (आम्रपाली उनके कल्पित बेटी का नाम है..की यदि कभी उनकी शादी होती तो..अपने बच्चे का नाम वो आम्रपाली रखते) को कैसे विस्मृत कर दू..कैसे ये स्वीकार कर लू की वो हमारे भूत की सिर्फ़ एक कल्पना है..की वो कभी अस्तित्व मे नही आएगी..जिसको हमने रिश्ते मे हर क्षण जीया है..जिसको हमने उन अनगिनत रातो मे महसूस किया है..प्रेम के उन पवित्र क्षणो मे जिसको हमने परमपिता से माँगा है..जो हमारे आत्मा के साथ रची बसी..तुम बोलो शिशिर मै उसको कैसे विस्मृत कर दू..???

तुम्हारी बहोत याद आती है..तुमको भी तो मेरी याद आती होगी ना शिशिर...???

अब और क्या कहूँ शिशिर..पता है अब चाँद की किरणे शीतल नही लगती ..और जब भी ये ख़याल मन मे आता है की अब तुम्हारी आँखो से मै चाँद नही देख पाऊँगी ..मेरा हृदय उदास हो जाता है...किंतु तुम बिल्कुल चिंतित नही होना मेरे प्राण
ये छणिक कमज़ोरी है..तुम्हारी मेहा तुम्हारे आदर्शो को कभी हारने नही देगी..

अच्छे से रहना..और सदा अपने सदगुणों के सुगंध से संसार को सुवासित करते रहना.


तुम्हारी और सिर्फ़ तुम्हारी
मेहा






आखरी पत्र(शिशिर)
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मेरे भाग्य,
तुम्हारे ये अनगिनत प्रश्‍न ...मै क्या उत्तर दूँ...
तुम हमेशा मेरा आत्मबल रही हो....क्या बिना तुम्हारे सहयोग के ये संभव था..क्या इतना महत्वपूर्ण निर्णय मै कभी अकेले ले पता..??

मेरे सुख दुख के साथी तुम ये मत सोचना की तुम्हारे जाने के बाद तुम्हारा ये शिशिर अकेला हो जाएगा...साँस से प्राण की तरह..पुष्प से गंध की तरह तुम इस आत्मा मे रची बसी हो..तुम मुझसे कभी अलग नही हो रही हो..और कभी अलग होगी भी नही...तुम हर छड़ मेरे साथ हो..मेहा ..

मेरे जीवन की अमूल्य निधि तुम बिल्कुल भी चिंतित नही होना.. ये तो हमारे भौतिक जगत की कुछ ज़िम्मेदारियाँ है जिनका हम निर्वाह कर रहे है ..इस समाज के लिए अपने परिवार के लिए और जन्मो जन्मो से चली आ रही मान्यताओं के लिए हम त्याग कर रहे है..मेहा ये सिर्फ़ भौतिक वियोग है..हमारा रिश्ता तो आत्मिक है...जो अदृश्य और अटूट जीवन सूत्र से बना है..

मेहा तुमने पत्र मे लिखा था की शिशिर मै आम्रपाली को कैसे भूला दूँ.. मेहा तुमने एकदम सत्य कहा हम लोग आम्रपाली को कभी भी नही भूल सकते ..जो हमारे रिश्ते की एक मात्र इच्छा ..हमारा एक मात्र सपना थी...बस ये समझ लो मेहा..की इंसान के जीवन की हर इच्छा और हर सपने पूरे नही होते है..

मेहा तुमने जीतनी बातें अपने पत्र मे कही है सब सत्य है..मेहा हम मिले ..हमने एक पवित्र रिश्ता बनाया ...हमने उसको अनगिनत चाँद तारों से सजाया..अनगिनत फूलों से महकाया...कितनी दुविधा हुई ..कितनी असुविधा हुई ..किंतु हमने एक दूसरे का साथ कभी नही छोड़ा...जीतनी ठोकरे लगी ..हम और उतनी ही घनिष्ठता से जुड़ते गये..
मेहा हम एक दूसरे का साथ आज भी नही छोड़ रहे है..मेहा हम दूर हो रहे है ...अलग नही.

मेहा तुमने लिखा था ..शिशिर उन यादों को कैसे भूला दूँ ..मेहा कुछ भी भूलना नही ...मेहा सिर्फ़ ये फ़र्क समझना है की ..
कर्तव्य क्या है..और सौन्दर्य क्या है..मेहा ये जो हमारी दुनिया है ये बड़ी ही नाज़ुक मुलायम सौन्दर्य की दुनिया है..जिसको हमने प्रेम से अपने हृदय की अनंत गहराइयों मे सहेजा है.. जिसको यदि हमने प्रेम से नही सहेजा..तो वो तुरंत बिखर जाएगी....और मेहा फिर हम भी बिखर जाएँगे..इसलिए मेहा सौन्दर्य की दुनिया..आत्मा की दुनिया है..
इसको भौतिक जगत से नही मिलाना है..

जो... कर्तव्यो की दुनिया है ..वो भौतिक जगत की दुनिया है...जो अत्यंत कठोर है..यहाँ मन कोई नही देखता है ..यहाँ सिर्फ़ कर्तव्य का महत्व है..तो मेहा कर्तव्य अलग है सौन्द्र्य अलग है ..इस बात का हमेशा ध्यान देना है.

और क्या कहूँ मेरे आराध्य..तुम्हारे बिना इस जीवन की कल्पना भी संभव नही है..जब भी ये सोचता हूँ..की तुम जा रही हो
मन उदास हो जाता है..आँख भर जाती है..हृदय का स्पंदन मंद पड़ जाता है..तुम तो जानती हो ना मेहा जब मुझे घबराहट होती है तो मेरे दिल की धड़कने..धीमी हो जाती है...

मेहा सच मे तुम्हारी बहोत याद आती है...और चाँद की किरण अब मुझे भी शीतल नही लगती है..

अच्छे से रहना...



अनंतकाल से सिर्फ़ तुम्हारा
शिशिर

3 comments:

  1. Vats dil ki dhadkano ko slow kar diya aur hame apne prem ki duniya me le gaye aur sub kuchh chand lamho ke liye bhula diya!!!!!
    Great story!!!!! Looking for more..........

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  2. Manish sir..

    Bahot hi Badhiya... Dil ko chu liya .. But Anumeha ne ek cheez sahi kahi hai.. Kya shadi kar ke woh theek karegi?? Woh apna tan to kisi ko arpit kar degi, par kya woh man ko arpit kar payegi??

    Looking forward to read more and more stories...

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  3. shishir is somewhat confused with "Bhautik jagat" & "Kartavya"...

    if his confusion is resolved, may be then he can fight for meha, dats wt lord krishna did, he fought and got rukmini(incarnation of goddes lakshmi) with him.

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