Friday, September 12, 2014

विवाह


चलो उठाओ तुलिका प्रिये,
आओ रंग भरतें हैं.

देखो कितना कोरा
सब कुछ नवीन है,
वो कौन सा है प्रेम वाला रंग प्रिये,
वही चुनना, हाँ सिर्फ़ वही चुनना,
मिल कर दोनो साथ-साथ रंगते है.
चलो उठाओ तुलिका प्रिये,
आओ रंग भरतें हैं.

ये सितारों से सज़ा आसमाँ,
ये मंद बह रहे हवाओ का कारवाँ,
चाँद और अग्नि को साक्षी मानकर,
दो जीव सात जन्मो तक
साथ-साथ चलने का नीव रखते है,
चलो उठाओ तुलिका प्रिये,
आओ रंग भरतें हैं.

नवीन स्वप्न इन नैनो ने जो तुम्हारे देखे हैं
देखो कैसे पलके नीची है
फिर भी चमक रहे है,
ये अधर जो सकूचाए से है
देखो कैसे मंद मंद मुस्काते है,
चलो उठाओ तुलिका प्रिय,
आओ रंग भरतें हैं.

सब कुछ नूतन है सब कुछ नया है,
थोड़ा असमंजस और थोड़ी अधीरता है,
किंतु एक दूसरे का हाथ थामे,
हम एक दूसरे मे विश्‍वास धरते हैं,
चलो उठाओ तुलिका प्रिये,
आओ रंग भरतें हैं.

 -अतृप्त




3 comments:

  1. You have a very mature thought proces..
    Must say very sophisticatedly written...
    चलो उठाओ तुलिका प्रिय
    आओ रंग भरते हैं....
    ...

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  2. हम एक दूसरे में विश्वास धरते हैं...
    ...
    Ye sabse khoobsurat line lagi..
    :)

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